राजूभाई मोहनलाल ठक्कर (Rajubhai M Thakkar), राजू के रूप में सम्मानित एक सामाजिक और अध्यात्म चैंपियन है।
उनका जन्म वर्ष 26/02/1962 में पवित्र स्थान डाकोर (Dakor) के पास उमरेठ में हुआ था और बचपन टिब्बा रोड में पूर्ण रूपेण खिला था। अब वह पावागढ़ के पास हालोल में रहते हैं और समाज को रचनात्मक सेवाए प्रदान करते हैं।
वह गरीब बच्चों के लिए गांव के स्कूल चलाने के लिए अपनी बाहें फैलाते है। आध्यात्मिक, प्रकृति, पर्यावरण, मानसिक प्रसन्नता, शैक्षणिक और सामाजिक क्षेत्र के सेमिनारों को संबोधित करते है।
उन्होंने उनके जीवन मे अंग्रेजी साहित्य में स्नातक , संसाधन मे PG Diploma, Mass Communication, Ecology and Environment , समाजशास्त्र, निसर्गोपचार, पर्वतारोहण, अकेले और लंबे मार्गों पर चलने आदि में समृद्धि हासिल की हैं।
भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) में पंद्रह साल की सेवा ने उन्हें बहोत प्रशंसा अर्जित की है। उन्हें "९ वर्ष सेवा मेडल", आसाम बंगाल पदक और उच्च स्तरीय प्रशंसा पत्र प्रदान हुआ है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक पैदल जाने के लिए (Limca Book Of Record) लिम्का बुक में रिकॉर्ड और प्रथम पैदल दंपति के रूप में सयुक्त कल्पना-राजूको कोयंबटूर से कन्याकुमारी प्रथम लग्नतिथि पदयात्रा के लिए भी लिम्का बुक ऑफ नेशनल रिकॉर्ड (Limca Book Of National Record) स्थापित हुआ है।
वैश्विक गुरु, धार्मिक हस्तियों, वैज्ञानिकों, साहित्यकारों के साथ उनका स्नेह संबध अत्यंत प्रेममय है।परमाचार्य कांची पीठ, जगद्गुरु जयेंद्र सरस्वती, स्वामी चिन्मयानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी सच्चिदानंद (योगविले अमेरिका), वरिष्ठ महामंडेश्वर महेशानंदगिरी, स्वामी ईश्वरानंदजी, स्वामी सोमगिरीजी, प्रमुख स्वामी, स्वामी निखिलेश्वरानंद, भारत रत्न कलाम साहब, पद्मविभूषण सुंदरलाल बहुगुणा, पद्मविभूषण बाबा सीचेवाल, स्वामी अनिर्वचनीय महाराज, स्वामी नर्मदानंद महाराज, स्वामी चंद्रमौली महाराज, डॉक्टर लक्ष्मी कुमारी, गच्छाधिपति आचार्य राज यश सूरीजी, जैनआचार्य जगतचंद्र सूरीजी, दिगंबर आचार्य पुष्पदंत सागर, बाबा आमटे, श्री नारायण देसाई स्वामी गजानंद पूरी, स्वामी राम शरण दास महाराज एवम गण मान्य योगी पुरुषो से शिक्षा प्राप्त की है।
वह विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक ऋषि श्री विमलाजी ठाकर और उनकी शिक्षाओं के साथ भी जुड़े रहे। उन्होंने कुछ किताबें भी लिखी हुई हैं जैसे कि मानव विश्राम, विमल प्रसादी, विमल नाद , शिवकुटी एक दिव्य तीर्थ, विमल वंदना ,परम अवधूत और स्पिरिचुअल एबीसीडी - आध्यात्मिक अनुशासन से जीवन विज्ञान । 2016 में उन्हें आंतर राष्ट्रीय श्रेष्ठ रघुवंशी विशिष्ट प्रतिभा अवार्ड प्राप्त हुआ है। स्वामी विवेकानंद उनके मुख्य प्रेरक पुरुष है।
राजुभाई की एक दुर्लभ और अनोखी विजय कथा ये भी है कि वे पिछले 41 साल से रोजाना सुबह के समय की आंतरिक अभिव्यक्तियों को लिख रहे है। शब्दों के ये नृत्य पाठकों के मन को आध्यात्मिक रूप से प्रभावित करते हैं । पूरा विश्व मानवता के साथ प्रेम शांति और आनंद से जिए यही उनकी अंतःकरण की प्रार्थना है और तद अनुसार जागृतिमय जीवन जीने के लिए उत्सुक और प्रयासरत है।
"वहो विश्वामित्री अभियान" में नदी को पुनर जीवित करने में अग्रणी योगदान कर रहे है जिसमे करीब 2 करोड़ वृक्षारोपण की जरूरत को पूरी करने में मशगूल है।
हमे खुशी और गर्व है कि हमे उनकी प्रेरक जीवन कथा आपके सामने प्रस्तुत करने का अवसर मिला ।
पाठकों से अनुरोध है कि वह अपने भीतर मन के सुझाव और समाधान के लिए उन्हें संपर्क जरूर करें।
અતિ અદ્ભુત અને પ્રેરણા સભર વ્યકિતત્વ છે રાજુભાઈ આપનું..
ReplyDeleteમારા કિશોર અવસ્થામાં આપનું સાનિધ્ય પ્રાપ્ત થયેલું તેનો આનંદ અને ગૌરવ આજે પણ છે...
આપ નું આધ્યાત્મિક ચિંતન અનેક ને પ્રેરણા આપે તેવી છે
Right
DeleteRajubhai ki Story bahot hi inspiring hai
ReplyDeleteRajubhai ki Story bahot hi interesting and inspiring hai..
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